क्या है पूरा मामला?
आपने पढ़ा और सुना जरूर ही होगा की "Don't Judge a book by it's cover" इसका मतलब यह है कि कभी भी आप किताब के बाहरी प्रारूप को देख के नही बता सकते की किताब पढ़ने में कितनी अच्छी है, ठीक इसी प्रकार का है यह मामला।जानकारी के मुताबिक ग्वालियर उपचुनाव की मतगड़ना के DSP, रतन सिंह तोमर और विजय सिंह भदौरिया दोनों लोग झाँसी रोड से बंधन बाटिका के फुटपाथ से होकर गुजर रहे थे तो सड़क किनारे नजर पड़ी जहाँ पर एक अधेड़ उम्र का भिखारी ठण्ड से कांप रहा था ,तभी गाड़ी रोक कर दोनी अफसर मदत के लिए भिखारी के पास गए और मदत की कोसिस की रत्नेश ने अपने जुते और DSP विजय सिंह ने अपनी जैकेट दे दी और इसके बात जब बिखारी से पूछताछ की गई तो वो आश्चर्य चकित रह गए,और हो भी क्यों न क्योकि वह बिखारी और कोई नही DSP के बैच का ही एक अफसर निकला।
10 साल पहले हो गए थे लापता
दरअसल जो भिखारी के रूप में 10 साल से घूम रहे थे वो व्यक्ति मनीष मिश्रा है, जो की वें एक पुलिस अफसर हुआ करते थे साथ ही साथ वे एक शार्प शूटर भी थे।
इन्होंने 1999 में SI के रूप में पद संभाला था और और अंतिम 2005 में दतिया जिले के थानेदार थे।
धीरे धीरे इनकी मानशिक स्थति बिगड़ने लगी और एक दिन ये परिवार के लोगो से बच कर भाग गए। परिवारवालों ने बहोत खोज पर कोई खबर नही मिली।
दोनों DSP साथियो के साथ जाने से मन करने पर समाजसेवी संस्था से मिलकर इनका इलाज करवाया जा रहा है।
मनीष के परिवार से कई लोग प्रशासनिक विभाग से जुड़े हुए है, जैसे भाई थानेदार है, चाचा और पापा एसएसपी और एक बहन दूतावास में ऊँचे पद में कार्यरत है।
अधिक पढ़ी जाने वाली खबरें:-
पटाखे के विक्रय और उपयोग पर प्रतिबन्ध
रुक जाना नही योजना दिसम्बर 2020 टाइम टेबल
____________________________________________
Join Our Telegram Group for latest news updated Telegram
0 Comments